अंडमान तथा निकोबार पुलिस का अपराध अन्वेषण विभाग पुलिस महानिरीक्षक (गुप्तचर) के संपूर्ण पर्यवेक्षण में कार्य करती है उनकी सहायता के लिए पुलिस अधीक्षक और पुलिस उप अधीक्षक भी है ।
अपराध अन्वेषण विभाग के अधीन निम्न एकांष भी कार्य कर रहे हैं:-
- विशेष शाखा
- केन्द्रीय अपराध शाखा
- महिला के विरुद्ध अपराध शाखा
- मानव तस्करी रोधी इकाई
- राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो
- न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला (FSL)
- अंगुलछाप (फिंगरप्रिंट) अनुभाग
- फोटोग्राफी अनुभाग
- श्वान दस्ता
विशेष शाखा
- विशेष शाखा का मुख्य कार्य विभिन्न क्षेत्र जैसे अपराध गुप्तचर, साम्प्रदायिक/ धार्मिक गुप्तचर और कोई अन्य महत्वपूर्ण कार्यकलापों की गुप्त सूचना एकत्र करना है ।
- विशेष शाखा, पासपोर्ट, शस्त्र लाइसेंस, बार लाइसेंस के संबंध में सभी प्रकार की जाँच कार्य भी करती है ।
केन्द्रीय अपराध थाना
- पोर्ट ब्लेयर शहर में स्थित पुलिस थाना का क्षेत्राधिकार संपूर्ण अंडमान तथा निकोबार द्वीपसमूह में हैं । विदेशियों विषय के अधिनियम 1946 और भारत का सामुद्रिक क्षेत्र अधिनियम के तहत मामले इस थाना मे पंजीकृत किए जाते हैं
- इसके अलावा इस पुलिस थाना को महत्वपूर्ण मामले जैसे आई.टी. अधिनियम, संवेदनात्मक, घोर अपराध संबंधी मामलों की जाँच का कार्य भी सौंपा गया है ।
महिलाओं के विरूद्ध अपराध शाखा
महिला पुलिस थाना की स्थापना इन द्वीप समूह मे 22 अक्टूबर, 1993 को किया गया। महिलाओं के विरूद्ध अपराध शाखा का प्रमुख कार्य इस प्रकार हैः-
- दहेज और घरेलू हिंसा के लिए तंग करने संबंधी शिकायतों की जाँच करना।
- परामर्षी और चिन्तन-मनन संबंधी सेवाएँ प्रदान करना ।
- गुमशुदा, भगोड़े अथवा पथभ्रष्ट बच्चों और महिलाओं का पता लगाना और उन्हें वापस सही रास्ते में लाना ।
- भारत के संविधान में महिलाओं और बच्चों को दिया गया विशेषाधिकार, विभिन्न अंतराष्ट्रीय संधियों के संबंध में आम जनता, छात्रों और महिलाओं को संवेदनशील बनाना ।
- यौन शोषण न हों इसके लिए सार्वजनिक परिवहन, साइबर कैैफे, मनोरंजन स्थलों और अन्य सार्वजनिक स्थलों का नियमित दौरा करना और दुव्र्यवहार करने वाले लोगों के विरूद्ध कार्रवाई करना ।
- अपराध के बाद पीड़ित महिला/बालक और उनके परिवारों को सलाह देना और मान्यताप्राप्त संस्थानों/गैर सरकारी संस्थानों की मदद से उनके पुनर्वास की व्यवस्था करना ।
मानव तस्करी रोधी एकांष:-
मानव तस्करी रोधी एकांष की स्थापना निम्नलिखित उद्देश्य के लिए किया गयाः-
- बहु अनुशासनात्मक प्रस्ताव के साथ मानव तस्करी के अपराध मामलों का निपटान करना।
- पुलिस तथा अन्य सरकारी एजंसियों और विभागों जैसे महिला तथा बाल, श्रम, स्वास्थ्य आदि के बीच विभागीय सहयोग स्थापित करना ।
- तस्करी क्रियाकलापों के बारे मे गैर सरकारी संगठन की सहायता से बचाव कार्य आयोजित करना ।
- विक्टिम-सेन्ट्रिक एप्रोच सुनिशिचत करने के लिए जो पीड़ित/उत्तरजीवी के सही हित को सुनिशिचत करता है और उसके बाद मे पीड़ित के उत्पीड़न/पुनःउत्पीड़न के साथ साथ मानव तस्करी से पीड़ित व्यक्ति से व्यवहार करते समय लिंग संवेदना और बच्चों के अधिकार जैसे संवेदनशील बातों की रक्षा करता है ।
अपराध रिकार्डो को बनाए रखने के लिए-
अपराध रिकार्डो को बनाए रखने के लिए-
- राज्य अपराध रिकार्ड ब्यूरो का उद्देश्य अंडमान तथा निकोबार द्वीप समूह के सभी पुलिस थाना में अपराध सम्बंधित आँकड़ा एकत्र करना और उस रिकार्ड का रखरखाव करना । प्राथमिकी, आरोप-पत्र, एफ.आर. और दोषसिद्धि पर्ची आदि आवष्यक प्रविष्टि ‘राज्य अपराध रिकार्ड ब्यूरो के रजिस्टर मे करना है।
- साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक छमाही, वार्षिक, वित्तीय वार्षिक रिपोर्ट, संसदीय प्रश्न, सूचना का अधिकार, पुलिस कर्मियों की जाँच संबंधी रिकार्डों का रखरखाव किया जा रहा है ।
- राज्य अपराध रिकार्ड ब्यूरो अपराध आपराधिक सूचना प्रणाली क्रियांवित करता है जो कि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो, नई दिल्ली द्वारा विकसित एक राष्ट्रीय परियोजना है इसमें अंडमान तथा निकोबार द्वीपसमूह के अपराध और अपराधियों का विवरण है ।
- अपराध और अपराधी रिकार्डों को कम्प्यूट्रीकृत करना और अपराध रिकार्ड प्रबंधन में मानकीकरण की डिग्री की शुरूआत करना और समन्वित जाँच फार्म अपराध आपराधिक सूचना प्रणाली साफ्टवेयर में फीड किया गया है ।
- लापता व्यक्ति कक्ष राज्य अपराध रिकार्ड ब्यूरो के तहत लापता व्यक्तियों का आँकड़ा अद्यतन रखने का कार्य कर रहा है। यह अंडमान तथा निकोबार पुलिस वेबसाइट में लापता व्यक्तियों का आँकड़ा अपलोड और अपडेट करता है ।
न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला
न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला मार्च, 2003 में कार्य करना आरम्भ किया । न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला अपराध अन्वेषण विभाग, पोर्ट ब्लेयर के कार्यालय परिसर में कार्यरत हैं यह एक वरिष्ठ वैज्ञानिक सहायक के पर्यवेक्षण में, पुलिस अधीक्षक के पूर्ण पर्यवेक्षण में कार्य कर रहा है । इस समय न्यायालयिक विज्ञान प्रयोग शाला में केवल रासायान विज्ञान प्रभाग कार्य कर रहा है और यह निम्नलिखित जाँच करता है:-
- प्रोविजन टाइप केस - (प) अवैध शराब और (पप) देश मे बनी विदेशी शराब।
- एन.डी.पी.एस मामले (अफीम, गांजा, चरस और भाँग) आगजनी मामले (पेट्रोलियम उत्पाद)
- विष वैज्ञानिक जाँच (नाषी जीव-मारक तथा विष औषधि)
- दक्षिण अंडमान जिला के लिए एक जिला चलन्त न्यायालयिक एकांष की व्यवस्था की गई है ।
फिंगर प्रिंट (अंगुलछाप) अनुभाग
अंडमान तथा निकोबार पुलिस के प्रषासनिक नियंत्रण में और पुलिस अधीक्षक के पर्यवेक्षण में अंगुलछाप अनुभाग कार्य कर रहा है ।
कार्य की प्रकृति
- सिद्ध दोष /संदिग्ध/गिरफ्तार व्यक्तियों के अंगुलछाप रिकार्डों का रखरखाव ।
- अज्ञात शवों और संदिग्ध मामलों के अंगुल छाप रिकार्डों का रखरखाव
- अपराध स्थल से अंगुली के निशन मिलने की संभावना के लिए अपराध स्थल पर जाना ।
- अब तक अंगुलछाप अनुभाग में 1,083 अंगुलछाप का रखरखाव किया गया।
फोटोग्राफी अनुभाग
- कम कर्मियों की संख्या वाला एक फोटोग्राफी अनुभाग पुलिस उपाधीक्षक के पर्यवेक्षण में कार्य कर रहा है जो अपराध स्थल सहित पुलिस विभाग के सभी प्रकार के फोटोग्राफी और विडियोग्राफी के लिए उत्तरदायी है ।
श्वान दस्ता
- अंडमान तथा निकोबार पुलिस श्वान दस्ता की स्थापना वर्ष 2002 में की गई थी। इस समय श्वान दस्ता में 9 कुत्ते (02) एक्स्प्लोंसिव, 03 खोजी और 4 नारकोटिक) है। ये सूँघने वाले कुत्ते की ड्यूटी हवाई अड्डा, हेलिपैड, बंदरगाहों, विशिष्ट/अतिविशिष्ट व्यक्तियों के दौरे के दौरान तोड़-फोड़ रोधी जाँच के लिए और राजकीय समारोह स्थल में लगाया जाता है और जब और जैसे आवश्यक हो अपराध स्थल में उपस्थित होना पड़ता है ।
किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2000 के तहत विशेष किशोर पुलिस एकांष का गठन
- किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2000 का उद्देश्य विधि विरूद्ध किशोरो और देखरेख और संरक्षण के जरूरत वाले बच्चों के मूल अधिकारों की सुरक्षा करना है ।
- यह अधिनियम पुलिस को कुछ दायित्व सौंपता है और किशोर न्यायबोर्ड/विशेष किशोर पुलिस एकांष और किशोर अधिकारियों सहित कुछ संस्थान स्थापित करने पर जोर देता है ।
अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ:-
- किशोर से क्या अभिप्राय है ?
अधिनियम के तहत किशोर से अभिप्राय ऐसे व्यक्ति से है जिन्होंने अठारह वर्ष की आयु पूरी न की हो । - विशेष किशोर पुलिस एकांष
विशेष किशोर पुलिस से तात्पर्य किशोर न्याय अधिनियम की धारा 63 के तहत किशोरो अथवा बालकों के देखरेख के लिए निर्दिष्ट एक पुलिस एकांष है । - जिला विशेष किशोर पुलिस एकांष अंडमान तथा निकोबार द्वीपसमूह के तीनों जिला मे स्थापित है
महिला तथा बाल हेल्पलाइन दूरभाष सं. 1098 (निःशुल्क) - बाल कल्याण अधिकारी
इस संघ शासित प्रदेश के तीनों जिलों में किशोर पुलिस इकाई की स्थापना की गई है । प्रत्येक पुलिस थाना में बाल कल्याण अधिकारी के हैसियत से एक अधिकारी कार्यरत है। जिला अनुसार बाल कल्याण अधिकारी की सूची इस प्रकार है:-
|
|
|
किशोरो की यौन शोषण से संरक्षण अधिनियम, 2012 (पी.ओ.सी.एस.ओ.)
- यौन अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012, 14 नवम्बर,2012 में लागू हुआ। अधिनियम अपने दायरे के तहत बालक को एक ऐसे व्यक्ति के रूप मंे परिभाषित करता है जिसकी आयु 18 वर्ष से कम है और वह अलिंगी है और उसके संबंध में सभी प्रकार के यौन दुव्र्यवहार के लिए स्पष्ट परिभाषा है ।